श्रावण में Non-Veg Food न खाने को लेकर मैं और मेरी पत्नी तर्क वितर्क कर रहे थे, की तभी प्रोफेसर चाचाजी आ पहुंचे! मेरी पत्नी ने कहा कि चाचाजी आप ही बताईये, श्रावण का ये पवित्र महीना भोले शंकर जी को पूजने का सबसे पवित्र समय होता है, ऐसे पावन महीने में हमें Non-Veg खाने का पाप करना चाहिए क्या? पूरे साल तो जो मर्ज़ी, वो खाते हैं, एक महीना मांस या मछली नहीं खाने से इनका क्या बिगड़ जायेगा, आप ही कहिये!
मैं भी कहाँ चुप रहने वाला था, मैंने भी अपनी बात रखी और कहा की अगर पूरे साल ये सब खाते ही हैं तो फिर ये त्योहारों के समय में ढोंग क्यों करना? ऐसा थोड़े न होता है की ऊपर वाला दिन या समय देखकर बुरा मानेगा? सावन में Non-Veg Food खाना गलत है तो फिर बाकी के महीनो में क्या ईश्वर छुट्टी पे है, मैंने पत्नी को घूरते हुए पुछा? देखिये!!, इसी तरह का फ़ालतू तर्क देकर ये मेरा मुंह बंद करवा देते हैं और पर्व त्योहारों में भी मांसाहार खाने से बाज़ नहीं आते, मेरी पत्नी ने चाचाजी से शिकायत के लहजे में कहा!
अब बारी चाचाजी की थी, हम दोनों को बैठने का इशारा करते हुए वो बोले कि देखो, मुझे लगता है की तुम दोनों थोड़े सही भी हो और थोड़े गलत भी! मैं तुम दोनों को सही बात बताता हूँ जो की सिर्फ धर्म या मानवता से प्रेरित नहीं होगा बल्कि तथ्यों के आधार पर होगा और तुम दोनों उस बात से सहमत भी हो जाओगे! उसके आगे माँसाहार कब खाना सही होगा या कब खाना गलत होगा ये निर्णय मैं तुम दोनों पे छोड़ दूंगा! हम दोनों भी चाचाजी की बातों को ध्यान से सुन रहे थे क्योंकि उनकी बातों से हमेशा से हमारे पूरे परिवार का अच्छा मार्गदर्शन होता आ रहा है!
Non-Veg Food खाना पूरी तरह से गलत है!
अलग अलग धर्म अपनी अलग बातें बताते हैं और खुद के धर्म से जुडी बातों को सही तथा अन्य धर्मों की बातों को गलत बताते हैं! चाचाजी बोले की मैं आज किसी धर्म से जुडी बात नहीं करना चाहता हूँ, मैं बस तुम दोनों से ये सीधी सी बात पूछना चाहता हूँ, की क्या तुम्हारे जीवन में अगर कोई भी काम किसी को मारे वगैर हो सकता है, तो क्या तुम उस काम के लिए किसी की हत्या करना चाहोगे?हमने तुरंत ना में सर हिलाया! उन्होंने आगे बोलते हुए बताया कि पुराने समय में लोग जंगलों में रहते थे और खेती बाड़ी का कोई ज्ञान ही नहीं था, तो वे लोग पशु पक्षियों के मांस पे ही जीवित रह पाते थे!
जब समय के साथ मानव का विकास हुआ तो फिर हमने खाने पीने की हजारों चीज़ों की पैदावार शुरू कर दी! जैसे जैसे हम जंगलों से निकलते गए और सभ्य समाज का निर्माण करते गए, हमने सिर्फ जानवरों के मांस पर निर्भर रहना छोड़ दिया! तो उसके बाद से ये साफ़ हो गया कि जो लोग अभी भी Non-Veg Food खा रहे थे, वो सिर्फ उनकी अपनी इक्छा थी, नाकि कोई मजबूरी की वजह से! और अब के इस दौर में, इंसान सिर्फ और सिर्फ अपने स्वाद और मजे के लिए किसी न किसी जीव को मार कर खा रहा है, ये कहाँ की मानवता है, चाचाजी ने दुखी सा भाव बनाते हुए पूछा?
अगर खुद को मजा आये इसके लिए हमें किसी कमजोर जानवर को मारने में कोई गलत बात नहीं दिखाई देती, तो अपने फायदे के लिए किसी की हत्या करने वाला गुंडा क्यों गलत है? आप अपने से कमजोर जीव को मार रहे हो तो वो भी अपने से कमजोर मानव को मार रहा है, दोनों ही बातें बिलकुल एक जैसी हैं! तो ये बातें मैंने इसलिए बतायी क्योंकि ये किसी धर्म के हिसाब से नहीं है, ये मानवता के आधार पर कहता है की, Non-Veg Food खाना गलत है और इसमें किसी दूसरे तर्क का कोई आधार नहीं है, चाचाजी ने नाराज़गी जताते हुए समझाया! ये बातें सुनने के बाद ऐसा लगा, मै और मेरी पत्नी सुन्न से हो गए!

Non-Veg Food खाने वालों के पाखण्ड!
चाचाजी गला साफ़ करते हुए कहने लगे की, अब मैं बात करता हूँ तुम दोनों जैसे लोगों की, जो सबकुछ जानते हुए भी मांस, मछली खाते हैं! सभी धर्मों में तरह तरह के ज्ञान बाटे जाते हैं इस काम को सही साबित करने के लिए, पर जो गलत है उसको सही बनाने से क्या फायदा? हद तो तब हो गयी जब अन्ध ज्ञान वालों ने जानवर मार के ईश्वर को प्रसन्न करने का भी रिवाज़ चला दिया, और ये किसी एक धर्म में नहीं, बल्कि सभी धर्मों में चला आ रहा है! किसी की बलि देने से जो प्रसन्न हो, वो मेरा ईश्वर या खुदा तो नहीं हो सकता, औरों का मुझे नहीं पता, चाचाजी बोले!
आगे बोलते हुए चाचाजी कहने लगे कि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी चतुराई से ये समझाने की कोशिश करेंगे, की प्रकृति का बैलेंस बनाए रखने के लिए कुछ जानवरों को मारना सही है! पर उन् ज्ञानियों से ये कौन पूछे कि, जिस प्रकृति ने खुद इतनी शक्तिशाली है उसको अपने जीवन का बैलेंस बनाने के लिए हम तुच्छ मनुष्यों की ज़रूरत है क्या? जीव ही जीव का भोजन है या फिर जानवर भी तो जानवरों को मारते हैं, इस तरीके के न जाने कितने घटिया तर्क दिए जायेंगे! पर सत्य यही है कि हर तरह की सुविधाओं के रहते हुए भी किसी जीव की हत्या करके उसका मांस खाना सही कर्म तो नहीं है, चाचाजी ने कहा!
अब अगर हमलोग इन सभी बातों को समझते हुए भी Non-Veg Food खा रहे हैं, तो फिर क्या श्रावन और क्या कार्तिक, जब मर्ज़ी हो तब खाओ! मांसाहार न खाना अच्छी बात है, पर अगर हमेशा खाते ही हो, तो फिर किसी दिन या महीने के परहेज से कोई पुण्य तो नहीं होने वाला है! मैं बहु की बातों से सहमत नहीं हूँ, तुम्हे खाना है तो खाओ, पवित्र महीने से तुम्हारे पाप पुण्य में फर्क नहीं पड़ने वाला है, मेरी तरफ देख कर हस्ते हुए चाचाजी ने कहा!!
लेकिन श्रावण में Non-Veg Food खाने से बचना चाहिए!
पर मेरी सलाह मानो तो श्रावण के महीने में मांस वगेरा खाने से बचना ही उचित होता है, चाचाजी फिरसे बोले! ये सुनकर मेरे दिमाग में घोड़े दौड़ गए और मैंने तपाक से पूछा कि अभी-अभी तो आप कह रहे थे कि श्रावण में खाने से कोई पाप नहीं होगा, फिर आप ही कह रहे हो कि खाना उचित नहीं है? चाचाजी को हसी आ गयी, और वो कहने लगे की मैं अभी भी अपनी बात पे कायम हूँ, कि पाप पुण्य में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर आपके स्वस्थ्य पर ज़रूर असर पड़ेगा! आप किसी गंभीर बीमारी के शिकार भी हो सकते हो, उन्होंने आंखे दिखाते हुए कहा! मेरी पत्नी भी प्रश्न भरी निगाहों से चाचाजी की तरफ देखने लगी!
उन्होंने आगे कहा, की श्रावण का महीना, पूर्णतः बरसात के मौसम में आता है! और बरसात का मौसम सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं के लिए भी कई तरह की बीमारियां लेकर आता है! ऐसे में किसी भी जानवर को अपना आहार बनाओगे, तो उसकी बीमारियां भी आपका आहार बन सकती हैं! तो उचित यही है कि श्रावण के महीने में को ध्यान में रखते हुए खाने से बचोगे तो बेहतर होगा! चाचाजी ने इतने सही ढंग से बातें समझायीं, की हम दोनों अच्छे ढंग से समझ चुके थे!
चाय पीकर निकलते वक़्त भी चाचाजी ने एक बात कही जो हम दोनों को पसंद आयी! वो कहने लगे, की जिस तरह तंबाकू या शराब लगातार पीने से उसकी लत लग जाती है, और बाद में शरीर को उसका नुक्सान होता है, उसी तरह मांसाहार का भी सेवन लगातार करना, आपके लिए सही नहीं होता है! तो अगर किसी धार्मिक मान्यता के बहाने, या फिर जीवन में कुछ अनुशासन लाने के बहाने, भी अगर आपके शरीर को Break मिलता है तो अच्छी बात है! Non-Veg Food को पचाना भी कठिन होता है, तो अगर कुछ दिनों के लिए न खाने का कोई मौका है, तो उसको हाथ से न जाने दें, और श्रावण जैसे महीनों को मांसाहार के लिए प्रतिबंधित न समझकर, इनको अपने शरीर के लिए एक DETOXIFICATION PERIOD(विषहरण अवधि) के रूप में देखें!!!!!!!!!