पूजा नहीं, अच्छे कर्मों से बनोगे Strong Woman

Strong Woman Symbolic Image

Strong Woman: मैं झूठ तो नहीं बोलूंगी की मैं बहुत अमीर परिवार से आयी थी और मेरा ससुराल बहुत गरीब था, पर ये सच है की मेरे मायके का जीवन स्तर मेरे ससुराल से काफी बेहतर था! वो इसलिए भी कि शायद मेरा मायका शहर से सटा हुआ था और मेरा ससुराल देहात में पड़ता था! पर मै भगवान् की कसम खा के कहती हूँ कि मैंने कभी अपने शहरी होने का घमंड तो नहीं किया बल्कि मैंने देहात के जीवन को अपनाया ताकि मेरे ससुराल वाले खुश रहें. पर मेरी सारी अच्छाईयां भी मुझे ससुराल में वो सम्मांन नहीं दिला पाई जिसकी मै हक़दार थी!

मेरे पिता ने मेरी शादी मेरी बड़ी बहन के देवर से करवाई थी. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से उन्होंने ये फैसला किया था, पर ये शादी चुपके से नहीं हुई थी! इस शादी के लिए मेरे ससुरजी की पूरी रजामंदी थी! हाँ ये बात और है की मेरे जीजाजी और मेरी सास इस शादी से नाराज़ थे! ऐसे में मेरी लिए ये और ज़्यादा ज़रूरी हो गया था की मै एक बेहतर बहु बन के दिखाऊं. पर उस वक़्त ये सपने में भी नहीं सोचा था कि भविष्य में मेरी सास ही मुझे दुश्मन समझेगी और मुझे बनना पड़ेगा Strong Woman.

शादी के बाद जब मै पहली बार ससुराल आयी तब से ही मैंने ज़िम्मेदारियां संभाल ली थी. क्योंकि मेरे पास मनमुटाव करने के लिए कोई जेठाणी नहीं थी, वो तो मेरी अपनी बहिन ही थी जो काम धंधे में मुझ जैसी कुशल नहीं थी, इसलिए भी मुझे और बेहतर करके दिखाना था ताकि मेरी बहिन की कमियां लोगों की नज़रों में ना आये!

मेरे पिता के संस्कारों ने मुझे ऐसा बनाया था की मै हर किसी का सम्मान तो करती ही थी, सबकी जरूरतों का ध्यान भी रखती थी! मेरे पिता ने मुझे ये सिखा कर भेजा था की बेटा ऐसा कुछ भी मत करना की ससुराल से कभी तेरी शिकायत आये! इतने अच्छे संस्कार मिले थे मुझे की मैं तो चाह कर भी किसी का बुरा नहीं कर पाती थी!

क्योंकि अपनी आधी ज़िंदगी जो अच्छाई मैंने इस परिवार के लिए दिखाई थी वो सब मेरे लिए बुराईयाँ और अपमान ही लेकर आईं थीं! मैंने भी यही सुना था कि अच्छे के साथ अच्छा होता है और बुरे के साथ बुरा होता है पर मेरी ज़िंदगी ने तो मुझे कुछ और ही दिखाया! मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे पर उनकी कमाई इतनी नहीं होती थी की वो हमे भी अपने साथ शहर में रख सकें| वो मेरे दुसरे जेठजी के परिवार के साथ वहां रहते थे और महीने में एक बार आया करते थे|

जब मेरे बेटे का जन्म हुआ तो मैंने 1 साल अपने मायके में ही बिताया क्योंकि ससुराल में एक बच्चे के रहते तो ज़िम्मेदारियों के बोझ से मैं मर ही जाती! वहां गांव में मेरी सास, मेरे ससुर, मेरी बड़ी बहन, उसके 3 बच्चे और मैं रहा करते थे| पर कोई ऐसा दिन नहीं जाता था की घर में कलह न हुई हो| जहाँ एक ओर मेरी ननद लोगों का आना और आकर 6-6 महीनो तक रहना होता था! तो वहीं दूसरी ओर गरीबी और कमियों के कारण मेरी दीदी के बच्चे भी मुझसे आये दिन उलझा करते थे! मेरे साथ होने वाली तकलीफों को मेरे पति और मेरी दीदी बखूबी समझते थे और दीदी अक्सर मेरा पक्षः लेकर लड़ाई भी कर लेती थी|

पर मेरे पति कुछ बोल ही नहीं पाते थे क्योंकि वो परिवार को जोड़ कर रखना चाहते थे. मेरे पति परिवार के सभी छोटे बड़े लोगों को प्यार करते थे और कभी भी ऐसी बातें नहीं करते थे जो किसी को बुरी लगे| परिवार में किसी की भी उनसे कोई शिकायत नहीं थी, पर मै तो अपने पति से भी ज़्यादा ध्यान अपने परिवार का रखती थी लेकिन मुझे वो सम्मान क्यों नहीं मिलता था? हद तो तब होने लगी थी जब मै ये समझने लगी कि मेरी सास ने ससुरजी को भी हमारे खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया था| मेरे दोनों जेठ तो बुरा व्यवहार करते ही थे, महीनो तक आ कर रहने वाली ननद लोग भी तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी|

परिवार में हर किसी का ध्यान रखने के बाद भी मुझे इतना परेशान किया जाता था कि हर तीसरे महीने में बुरी तरह से बीमार हो जाती थी और मेरे भाई को मुझे मायके ले जाना पड़ता था! मेरे बाबूजी सब कुछ जानते हुए भी मुझे ही एक बेहतरीन बहू बने रहने का ज्ञान देते थे! बात ये भी है की वो आखिर कर भी क्या सकते थे? मुझे पूरी तरह से स्वस्थ करके वापस भेजा जाता था और फिर कुछ महीनो में मुझे टाँग कर लाया जाता था! मैंने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था की आदर्श बहू बनने का ख्वाब देखने वाली मेरे जैसी Strong Woman खुद की सास से ही नफरत करने लग जाएगी!

1 साल के बीमार बच्चे का इलाज करवाने मैं पटना गयी तो जोरों की बरसात हो रही थी और सर छुपाने की कोई जगह नहीं थी! मेरा भाई जब मुझे रात को जेठ जी के घर ले गया तो मेरी जेठानी ने मुझे घुसने तक नहीं दिया और मेरे पति भी चुपचाप ये सब देखते रहे! उस भयानक काली रात में मेरे गाँव के ही एक परिवार ने हमें रुकने का ठिकाना दिया था! इतना सब हो जाने के बाद भी वही सारे लोग गाँव आकर मुझसे अपनी खातिरदारी करवाते थे|

मेरी ज़िन्दगी के उन् सालों पर अगर कोई फिल्म बन जाये तो लोग रोते हुए सिनेमाघर से बाहर निकलेंगे! पर ज़िंदगी के वो साल भी कट गए और मेरी एक बिटिया भी हुई! जब शादी के 8 सालों बाद एक दूसरी नौकरी मिली तो मेरे पति मुझे और बच्चों को साथ लेकर दिल्ली से सटे एक शहर लेकर आ गए| एक छोटे से कमरे में रहना और 1800 रुपए महीने की तनख्वा में गुजारा करना होता था, पर पैसे की कमी को परिवार के सुकूं ने भुला दिया था|

पैसा भले ही कम था फिर भी न कोई गम था! हसी ख़ुशी वो 5 साल कैसे कट गए पता ही नहीं चला| दुःख की तरह सुख भी कहा हमेशा रहता है, तो फिर छूट गयी नौकरी और आ गए वापस गाँव में रहने! अगर मैं वहां से वापस नहीं आती तो फिरसे वही खींचतान शुरू नहीं होती और जिंदगी सुकून से कट रही होती! पर अगर दुःख नहीं आता तो फिर कैसे बन पाती मैं एक Strong Woman.

पर चाहे परिवार के लोगों ने मेरे साथ जो भी सितम किये हों, मैंने कभी बुजुर्गों का सम्मान और उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी| जब पति की नौकरी छूटने के बाद गाँव वापस आयी तो सालों तक झगड़े चलते रहे लेकिन दूसरी तरफ मेरे ससुरजी की सेवा में मैंने कोई कमी नहीं रहने दी| यूँ तो उनको भी हमसे कोई ज्यादा लगाव नहीं था पर वो और लोगों की तरह परेशान भी नहीं करते थे| उनके आखरी समय तक मैंने उनकी सेवा की|

जब ज़िन्दगी थी तब तो कोई प्यार दुलार नहीं मिला पर जाते जाते मेरे ससुरजी ने मुझे आशीर्वाद देते हुए अफ़सोस जताया की बहू मै तेरा क़र्ज़ कैसे चूका पाउँगा| उनको तो ये एहसास अंत में जाके हुआ पर परिवार के बाकी लोगों को तो कभी मेरी कदर ही नहीं हुई| मैंने कभी कोई चीज़ या पैसे की आशा किसी से नहीं की, बस थोड़ा प्यार और सम्मान की उम्मीद थी जो कभी नहीं मिला! ससुरजी के इस दुनिया से जाने के बाद चीज़ें और ख़राब होने लगी थी| आधी पेंशन से घर चलाना आसान था पर मेरी सास इसको कठिन बनाने लगी थी|

पर मेरे लिए अच्छी बात ये थी की मेरे दोनों बच्चे अब बड़े हो चुके थे और मेरा बेटा शहर में कमाने भी लगा था| हाँ बेटी की शादी की फ़िक्र ज़रूर थी पर मेरे पति की पीठ पर कमाने वाला बेटा था तो इतनी भी कोई चिंता से मरने वाली बात नहीं थी| और आखिरकार वो दिन भी आ गया जब मैंने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे विदा भी कर दिया। भगवान की कृपा से मेरे दोनों बच्चे अच्छी और खुशहाल जिंदगी जीने लगे। मेरे पति जो कुछ भी कमाते थे वो हम दोनों के लिए काफी था|

अब मेरा भी मन था की इस जंजाल से निकल कर पति के साथ शहर में शान्ति का जीवन जिऊँ, पर मेरे नसीब में सुकून तो शायद ऊपर वाले ने लिखा ही नहीं था| मेरे पति का सवाल ही यही होता था की, अगर तुम यहाँ से मेरे साथ निकल चलोगी तो बूढी माँ की सेवा कौन करेगा? मेरी सास के 3 बेटे और 3 बेटियां थी, सभी लोग उनका आदर और सम्मान करते थे, पर गाँव में रहकर या अपने साथ रखकर कोई भी उनकी सेवा की ज़िम्मेदारी लेने को आगे नहीं आया|

आखिर मैंने ही अपना दिल बड़ा किया और ये करने का जिम्मा उठाया| पर क्या ये सब देखते हुए भी मेरी सास का रवैया मेरे प्रति बदला क्या? मुझे घर में प्यार और सम्मान मिलने लगा था क्या? अगर मुझे मेरे हक़ का प्यार और सम्मान मिला होता तो शायद मैं कभी भी एक Strong Woman नहीं बन पाती! अच्छा कर्म करना आपका धर्म है और अच्छे कर्मों का फल मिलना भी तय है|

मेरी बेटी की शादी को 7 साल बीत चुके थे और मुझे अब किसी चीज़ की कमी नहीं थी| लेकिन मेरा निजी दुःख तो जैसे बढ़ता ही जा रहा था| मेरे पति के कारण मैं यहाँ गाँव में सड़ रही थी! मैं यहाँ सिर्फ और सिर्फ अपनी सास की वजह से रुकी थी, लेकिन मेरी सास की नज़र में मेरी कीमत दो कौड़ी की भी नहीं थी| मेरे शरीर में इतने सालों के struggle की वजह से कई बीमारियां हैं और मैं तो अब खुद भी बूढी होने लगी हूँ, पर 97 की उम्र में भी आज मेरी सास जस की तस हैं!

मैं ज़्यादा पूजा पाठ नहीं कर पाती, मैं ज़्यादा कठिन व्रतों के नियमों का पालन नहीं कर पाती, मैं चाह कर भी पति के साथ 3-4 महीने के लिए भी नहीं जा पाती! पर शायद मेरे सास-ससुर और परिवार की सेवा में ही मेरे जीवन की पूजा का फल छिपा है? मेरे पति और मेरे बच्चे मुझे वो प्यार और सम्मान देते हैं जो शायद लाखों औरतों के नसीब में नहीं है! मैं ये तो नहीं कह सकती कि मेरे बच्चे परिवार में सबसे अमीर हैं, पर ये ज़रूर कह सकती हूँ की वो सबसे ज़्यादा खुश हैं, और कर्मों का इससे बड़ा फल और क्या ही हो सकता है? मेरे पति और बच्चों की नज़र में मैं इस घर की असली लक्ष्मी हूँ|

मुझे लगता है की मेरी कहानी का सार यही है कि जीवन में आपके बड़े बुज़ुर्ग चाहे आपकी कदर करें या न करें, आप उनको बेसहारा न छोड़ें, क्योंकि किसी के साथ की गयी अच्छाई उसके द्वारा ही अच्छे बन के वापस आये ये ज़रूरी नहीं है! पर आपके द्वारा की गयी अच्छाईयाँ आपके लिए किसी न किसी और माध्यम से अच्छाइयाँ ही लेकर आएँगी ये तो निश्चित है! मेरी सास मुमुझसे चाहे जैसा भी बर्ताव करें, मैं अपना कर्म नहीं छोडूंगी! मेरे अच्छे कर्मों ने और जीवन की कठिनाईयों ने ही तो मुझे बनाया है एक STRONG WOMAN!!!!!!

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