को बुरी लगे| परिवार में किसी की भी उनसे कोई शिकायत नहीं थी, पर मै तो अपने पति से भी ज़्यादा ध्यान अपने परिवार का रखती थी लेकिन मुझे वो सम्मान क्यों नहीं मिलता था? हद तो तब होने लगी थी जब मै ये समझने लगी कि मेरी सास ने ससुरजी को भी हमारे खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया था| मेरे दोनों जेठ तो बुरा व्यवहार करते ही थे, महीनो तक आ कर रहने वाली ननद लोग भी तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी|
परिवार में हर किसी का ध्यान रखने के बाद भी मुझे इतना परेशान किया जाता था कि हर तीसरे महीने में बुरी तरह से बीमार हो जाती थी और मेरे भाई को मुझे मायके ले जाना पड़ता था! मेरे बाबूजी सब कुछ जानते हुए भी मुझे ही एक बेहतरीन बहू बने रहने का ज्ञान देते थे! बात ये भी है की वो आखिर कर भी क्या सकते थे? मुझे पूरी तरह से स्वस्थ करके वापस भेजा जाता था और फिर कुछ महीनो में मुझे टाँग कर लाया जाता था! मैंने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था की आदर्श बहू बनने का ख्वाब देखने वाली मेरे जैसी Strong Woman खुद की सास से ही नफरत करने लग जाएगी!

बद से बदतर होती ज़िंदगी!
1 साल के बीमार बच्चे का इलाज करवाने मैं पटना गयी तो जोरों की बरसात हो रही थी और सर छुपाने की कोई जगह नहीं थी! मेरा भाई जब मुझे रात को जेठ जी के घर ले गया तो मेरी जेठानी ने मुझे घुसने तक नहीं दिया और मेरे पति भी चुपचाप ये सब देखते रहे! उस भयानक काली रात में मेरे गाँव के ही एक परिवार ने हमें रुकने का ठिकाना दिया था! इतना सब हो जाने के बाद भी वही सारे लोग गाँव आकर मुझसे अपनी खातिरदारी करवाते थे|
मेरी ज़िन्दगी के उन् सालों पर अगर कोई फिल्म बन जाये तो लोग रोते हुए सिनेमाघर से बाहर निकलेंगे! पर ज़िंदगी के वो साल भी कट गए और मेरी एक बिटिया भी हुई! जब शादी के 8 सालों बाद एक दूसरी नौकरी मिली तो मेरे पति मुझे और बच्चों को साथ लेकर दिल्ली से सटे एक शहर लेकर आ गए| एक छोटे से कमरे में रहना और…